पृथ्वी थियेटर्स

आईये पृथ्वी थियेटर के बारे में कुछ विशेष बातें जाने। 

'पृथ्वी थिएटर' की विशेषताएं

1.  ज्यादातर नाटक एक ही सेट पर दिखाये जाते थे। 

2.  पर्दे के पीछे से ही नान्दी होता था, और एक ही नान्दी सभी नाटकों के शुरू में होता था। 

3.  संवाद पीछे बैठे दर्शकों तक सुनाई दे इसीलिए बिजली के पंखे बंद कर दिये जाते थे। 

4.  प्रत्येक दर्शक की कुर्सी पर हाथ का पंखा रखा होता था। 

5.  अधिकतर में अपने संबंधियों को हो कलाकार के रूप में चुना जाता था। 

6.  नाटक शुरू होने के पहले पृथ्वीराज कपूर अपने दर्शकों से कुछ न कुछ अवश्य कहते थे। 

7.  नाटक समाप्त हो जाने के बाद पृथ्वीराज कपूर दरवाजे पर गले में झोला डालकर दर्शकों से दान प्राप्त करने हेतु खड़े रहते थे। 

8.  नाटक के मध्य शोर सुनाई देने पर या अव्यवस्था दिखाई देने पर पृथ्वीराज कपूर नाटक बंद करके दर्शकों की डाँट भी लगा देते थे। 

 'पृथ्वी थियेटर्स' के रंगमंच पर अभिनीत किए गए सभी नाटक देशभक्ति व सांप्रदायिक एकता की अभिव्यक्ति करते हैं। 
इनके नाटकों का प्रमुख उद्देश्य सामाजिक आडंबरों का पर्दाफ़ाश करना रहा है।

 'पृथ्वी थियेटर्स' 1960 में बंद हो गया। इसका प्रमुख कारण धन की कमी थी।
    
'पृथ्वी थियेटर्स' का नारा था-' कला देश की सेवा में।'

    



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